दशमांश या दान ?

…..और तुम सत्य को जानोगे और सत्य तुम्हे स्वतंत्र करेगा (यूहन्ना ८:२२)
कलीसिया में दशमांश की अनिवार्यता को लेकर अक्सर पादरी/पास्टरों द्वारा प्रचार किया जाता है और वचन की सच्चाई को इसके लिए ताक पर रख दिया जाता है I आर्थिक कारणों की वजह से कभी कभी एक मध्यम आय वर्गीय मसीही के लिए और अक्सर एक निम्न आय वर्गीय मसीही के लिए दशमांश देना कठिन होता है जिसकी अनदेखी करके विश्वासियों पर दशमांश के लिए दबाव बनाया जाता है जो की वचन के विपरीत है I हमारा सिद्ध परमेश्वर कभी भी किसी भी बात के लिए दबाव नहीं डालता है I
इस प्रस्तुत लेख में हम पुराने और नए नियम में वर्णित वचनों के आधार पर दशमांश के सन्दर्भ में एक निष्कर्ष निकलने का प्रयत्न करेंगे और इसके लिए हम पूरे बाइबल को तीन भागों में विभक्त करेंगे I
१.दशमांश का प्रावधान व्यवस्था के दिए जाने से पहले
२.दशमांश का प्रावधान व्यवस्था के दिए जाने के समय(मूसा के समय)
३.दशमांश का प्रावधान नए नियम के समय(प्रभु यीशु मसीह और प्रेरितों के समय )
दशमांश का प्रावधान : व्यवस्था के दिए जाने से पहले
सबसे पहले पहल दशमांश अब्राम ने शालेम के राजा मल्कीसेदेक को जो परम प्रधान परमेश्वर के याजक था दिया था और इसे अब्राम ने अपनी इच्छा से दिया था I(निर्गमन १४:१७-२०)
याकूब ने अपनी इच्छा से परमेश्वर को दशमांश देने की मन्नत मानी I (उत्पत्ति२८:२०-२२)
दशमांश का प्रावधान व्यवस्था के दिए जाने के समय(मूसा के समय)
यहोवा परमेश्वर ने मूसा से कहा “भूमि की सारा उपज का सारा दशमांश यहोवा के लिए पवित्र ठहरे I “(लैव्य व्यवस्था २७:३०)
सारे पशुओं का दशमांश यहोवा के लिए पवित्र ठहरे I “(लैव्य व्यवस्था २७:३२)
यहोवा परमेश्वर ने मिलाप वाले तम्बू की सेवा करने वाले लेवियों को इस्राएलियों के सब दशमांश देने की आज्ञा दी I(गिनती १८:२१)
यहाँ एक बात समझना आवश्यक है कि लेवीय याकूब के बारह संतानों में से और इस्राएलियों के बारह गोत्रों में से एक है I यहोवा परमेश्वर ने उन्हें इस्राएलियों का दशमांश लेने की आज्ञा इसलिए दी थी ताकि वे शेष इस्राएलियों के अधर्म का भार उठायें I(गिनती १८:२३) इस परिपेक्ष्य में देखे तो आज के पादरी/पास्टर न तो लेवीय हैं और ना ही वे मसीहियों के अधर्म का भार उठाने के योग्य है I प्रभु यीशु मसीह ने जो शारीरिक भाव से इसरायली और यहूदा के गोत्र से था सारी मानव जाति के अधर्म का भार उठाकर इस व्यवस्था को सदा सदा के लिए पूरा कर दिया है
लेवियों को इस्राएलियों के द्वारा प्राप्त किये दशमांश के दशमांश को अपने याजक(हारून) को देने की आज्ञा यहोवा परमेश्वर ने दिया I (गिनती १८:२५-२८) इसकी वजह यह थी क्योंकि पवित्र स्थान के अधर्म का भार यहोवा ने हारून और उसके घराने पर ठहराया था I(गिनती १८:१)हमारे प्रभु यीशु ने सारी मानव जाति के अधर्म का भार कलवरी क्रूस पर अपना बलिदान देने के द्वारा से उठाकर सदा सदा के लिए याजक ठहरा है I (भजन संहिता ११०:४,इब्रानियों७:१७)
और न केवल याजक वरन सारी मानव जाति के पापों के लिए महायाजक बनकर परम पवित्र स्थान में प्रवेश कर अपने ही पवित्र लहू के द्वारा हमारे पापों के लिए प्रायश्चित किया(इब्रानियों ९:११-१४)पिता परमेश्वर का धन्यवाद् हो की उसने संत पौलुस के द्वारा इतनी बहुमूल्य भेद की बातें हमें बताई है I
खेत की सारी उपज के दशमांश को अपने नगर के फाटकों के भीतर इकठ्ठा करना और उसे सबके साथ बांटकर खाना चाहे वो परदेशी ,अनाथ,विधवा कोई क्यों न हो I (व्यवस्थाविवरण१४:२२-२९)
दशमांश का प्रबंधन पुराने नियम में
नहेमायाह ने भंडार में आये हुए दशमांश के वितरण हेतु चार विश्वास योग्य भंडारी नियुक्त किये I (नहेमायाह१३:१०-१३)
वर्तमान कलीसियाओं में दशमांश के लिए पादरी/पास्टरों के द्वारा सर्वाधिक रूप से प्रचार किये जाने वाला वचन मलाकी ३:१० है I यहाँ पर कृपया ध्यान दे की दशमांश को भंडार में लाने को कहा गया है न की पादरी/पास्टरों के जेब में I क्या आप जानते है की मलाकी ३:१० में किस भंडार के बारे में कहा गया है? यहाँ पर परमेश्वर के मंदिर के भंडार जो की यरूशलेम में है उसके बारे में कहा गया है I यदि आप अपने चर्च को परमेश्वर का मंदिर मानते है तो भी आपको अपना दशमांश को चर्च के भंडार में देना है न की पादरी/पास्टर के जेब में I
क्या आपके चर्च में कोई भंडार है?? जब कभी हम भंडार की बात करते हैं तो अगला प्रश्न उठता है कि क्या इस भंडार के लिए कोई भंडारी नियुक्त किये गए हैं जैसे की नहेमायाह ने किया था ?
दशमांश की व्यवस्था नए नियम में
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा की नए नियम में कहीं पर भी दशमांश की अनिवार्यता पर जोर नहीं डाला गया है बल्कि प्रभु यीशु मसीह ने दशमांश देकर अपने आपको धर्मी समझने वालो पाखंडी शास्त्री फरीसियों को फटकार लगाई है I (मत्ती २३:२३)प्रभु यीशु के अनुसार न्याय,दया,विश्वास ये सब दशमांश से ज्यादा महत्वपूर्ण है परंतु एक सच्चे मसीही बनने के लिए दान, न्याय,दया,विश्वास सारी बातें आवश्यक है (पढ़े मत्ती २३:२३ का अंतिम भाग)
नए नियम में दशमांश की अनिवार्यता के स्थान पर हर्ष के साथ बिना कुड़कुड़ाए हुए दान देने पर जोर डाला गया है I (२कुरिन्थियों ९:७) I नए नियम में उदारता पूर्वक दान देने के विषय में कहा गया है(२कुरिन्थियों ८ :२-३) बिना किसी दबाव के,हर्ष और आनंद के साथ बिना कुड़कुड़ाए हुए उदारता के साथ दिया गया दान १०% से कम भी हो सकता है और अधिक भी I लेकिन ध्यान रखें की हमारा कमाया गया धन नीच कमाई का न हो (नीच कमाई का अर्थ है गलत तरीकों,चोरी,भ्रष्टाचार ,किसी का हक़ मारना इत्यादि तरीको से कमाया गया धन) परमेश्वर को नीच कमाई ग्रहण नहीं है I
निष्कर्ष :–
सच्चे मसीहियत में पहले विश्वास है और उस विश्वास को स्थिर करने के लिए कर्म आवश्यक है I विश्वास,कर्म बिना मरा हुआ है (याकूब २:१७) I हमारा उदारता पूर्वक दिया गया दान भी हमारे विश्वास और परमेश्वर के प्रति प्रेम को दर्शाता है I
दान क्यों देना चाहिए:–
१.)परमेश्वर के सच्चे सेवको की सांसारिक जरूरतों के पूर्ति के लिए(१तीमुथियुस५:१८,१कुरिन्थियों १६:१-२)
२.परमेश्वर के वचन के प्रचार के लिए I
३.)कलीसिया के जरूरतमंद विश्वासी भाइयों के आवश्यकताओं के लिए (१यूहन्ना ३:१७)
४.समाज के जरूरतमंद लोगो के सहायता के लिए(अनाथो,विधवाओं इत्यादि)याकूब१:१७
निष्कर्ष :–
आप जिस किसी कलीसिया में जाते है,अपना दान देते है तो सुनिश्चित करे कि आपका दान भंडार में जाये न कि पादरी या पास्टर के जेब में (मलाकी ३:१०),भंडार में भंडारी नियुक्त किये जाये नहेमायाह (१३:१०-१३) ऐसे झूठे और पाखंडी सेवको को पहचानना सीखे जो भक्ति को कमाई का द्वार समझते है और खुद की और कलीसिया के विनाश का कारण होते है (१तीमुथियुस ६:५,१०)
प्रत्येक कलीसिया में एक कमिटी होनी चाहिए जो कलीसिया में आये हुए सारे दशमांशों और चंदे का हिसाब रखे और पादरी और उसके परिवार के जरूरतों के मुताबिक आये हुए सम्पूर्ण दान में से एक पर्याप्त और उचित हिस्सा दे Iअगर किसी कलीसिया में प्रतिमाह लाख-सवा लाख रूपये दान में आता हो तो क्या सारा दान पादरी के जेब में चला जाना चाहिए?? क्या पादरी को सारा का सारा पैसा खुद रख लेना चाहिये ?? अगर आपका पादरी ऐसा करता है तो वह भंडार में आये हुए धन पर डकैती डालता है क्योंकि अगर ऐसा है तो परमेश्वर के बाकी महत्वपूर्ण कार्यो के लिए जिसमे सुसमाचार प्रचार,जरूरतमंदों की मदद,अनाथो,विधवाओं की सुधि लेना इत्यादि कार्यों के लिए जिन सबकी आज्ञा परमेश्वर का वचन देता है धन कहाँ से आएगा ?? आप अपने मेहनत की कमाई से जो दान देते है उसका क्या और कैसे इस्तेमाल हो रहा है उसकी जानकारी रखना आपकी जिम्मेदारी है अगर आप यह पाते है कि कलीसिया में आये हुए सम्पूर्ण दान को आपके पादरी/पास्टर हड़प कर जाते है तो यह उनकी लालच का परिचायक है जो भक्ति को कमाई का द्वार समझते है (१तीमुथियुस ६:५) परमेश्वर इनका कठोर न्याय करेगा (मत्ती २३:१४,यिर्मयाह२३:१-२,यहेजकेल ३४:७-१०)
प्रिय पाठकों इस लेख का उद्देश्य यह कदापि नहीं है की आप दशमांश न देI नए नियम के अनुसार आपको अपनी सामर्थ के अनुसार हर्ष पुर्वक दान देना है हर्ष के साथ दिया गया दान १०% से कम भी हो सकता है और ज्यादा भी,लेकिन यह ध्यान रखे की यह स्वतंत्रता आपके लिए प्रभु को दिए जाने वाले धन में से चोरी का कारण न बने I यह आवश्यक नहीं है कि आप सारा का सारा दान अपनी ही कलीसिया में डाले आप अपने दान को प्रभु के लिए अलग अलग संस्थाओ,मिशनरीज को दे सकते है और हाँ आपके दिए गए दान का क्या और कैसे इस्तेमाल हो रहा है उसे जानने का प्रयत्न करेI अपने कलीसिया में एक कमिटी का गठन अवश्य करे जो कि कलीसिया के सारे आय-व्यय का लेखा रखे ,अपने पादरी/पास्टर को उसके और उसके परिवार के जरूरतों के मुताबिक एक पर्याप्त और उचित हिस्सा दे और बाकि धन को प्रभु के कार्यों के लिए खर्च करे I
और अधिक जानकारी या स्पष्टीकरण के लिए कृपया निम्नलिखित फ़ोन नंबर्स पर संपर्क करे:
1.भाई राधेश्याम—९६०२६०६०६७
2.भाई पंकज–०७७३७५१२८४५